Program Classes
जैन गर्भ संस्कार औषधि में आपका स्वागत है आपने इस प्रोग्राम का चुनाव किया इसके लिए आपका धन्यवाद 🙏 इस प्रोग्राम के चुनाव के साथ ही आपने अपने आने वाले बेबी के लिए और अपनी प्रेगनेंसी की असीमित संभावनाओं के द्वार को खोल दिया है इस प्रोग्राम में आपको हर टॉपिक पर डिटेल में और साइंटिफिक तरीके से गाइडेंस दिया जा रहा है इन सारे टॉपिक को आप कोशिश करें ध्यान से देखें, देखते समय हेडफोन का यूज़ करें और एक साथ पूरे सेशन को देखने का प्रयास करें सेशन के संबंध में अगर आपको कोई भी डाउट है कोई भी क्वेश्चन है कुछ पूछना चाहते हैं कोई चीज समझ में नहीं आई है तो आप हमें निसंकोच कॉल कर सकते हैं या व्हाट्सएप कर सकते हैं ।
इसी के साथ आपको एक प्रेगनेंसी डायरी बनानी हैं जिसमे आप अपने डेली प्रेगनेंसी एक्सपिरिंस को लिखना हैं साथ में जो भी क्लास आप देखेंगी उसके पर्सनल नोट्स बनाने है की आपने आज इस क्लास में क्या सिखा | इस डायरी के photos आपसे अभी भी मांगे जा सकते हैं |
आपकी गर्भावस्था की यह यात्रा शुभ हो मंगलमय हो आप एक स्वस्थ सुंदर बहुत ही बुद्धिमान बेबी को नॉर्मल डिलीवरी के द्वारा जन्म दे यही हमारी कामना है |
Team
jain Garbh sanskar
Welcome to Jain Garbha Sanskar. Thank you for choosing this program. By choosing this program you have opened the doors to unlimited possibilities for your coming baby and your pregnancy. In this program, you are being given detailed and scientific guidance on every topic. Try to watch all these topics carefully, use headphones while watching and try to watch the entire session at one go. If you have any doubt regarding the session, any question, want to ask something, have not understood anything, then you can feel free to call or WhatsApp us.
Along with this, you have to make a pregnancy diary in which you have to write your daily pregnancy experience and also make personal notes of every class you attend as to what you learnt in that class today. Photos of this diary can still be asked from you.
May this journey of your pregnancy be auspicious and blessed. We wish that you give birth to a healthy, beautiful and intelligent baby through normal delivery.
Part -1
Part -2
इस क्लास में बताई गई डिटेल्स आपको प्रेगनेंसी के बारे में पूरा अवगत करवाने के लिए बताई गई हैं
जैन धर्म के अनुसार अंकुरित अनाज , किसी भी प्रकार का कंद मूल नही खाया जाता हैं तो इसे आप ना खाए इनके किये substitute बताये गये वही भोजन में ले |
Part – 01
Part – 02
Part – 03
Part 01
part 02
Part 01
Part 02
Part 03
महा मंगलकारी णमोकार मंत्र के साथ सुबह और शाम को 10 मिनट के लिए इसे चालू करके अपनी श्वासों पर धयान लगाना हैं
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Part -04
Download Pdf
https://drive.google.com/file/d/197GKc4qZg-8RRQU1AR9OpX0FSN4UaRPo/view?usp=sharing
प्रीति संस्कार : स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहने,पूर्व दिशा या देव स्थान पर दीप व् धुप प्रज्वलित करने के पश्चात भावी माता पिता अपना दांया हाथ स्त्री के पेट पर रखे और इस भाव के साथ निम्नलिखित मन्त्र को तिन तिन बार दोहराए की गर्भस्थ शिशु एक उत्कृष्ट चेतना है,उच्च ज्ञानी और उत्तम चरित्रवान है, जो सबके लिए मंगलकारी है,..और इसी भाव के साथ विसुअलिज़ करे आपके गुरु के, कुलदेवी-देवताओं के,ईष्ट देवो के,सभी के आशीष उस पर बरस रहे है……..
प्रीति संस्कार मंत्र :
ॐ शान्तिरस्तु | पुष्टिरस्तु| वृद्दिरस्तु| रिद्धिरस्तु |अविघ्नमस्तु |आयुष्यमस्तु |आरोग्यमस्तु |
शिवमस्तु |शिव कर्मास्तु |कर्मSसमृद्धिरस्तु |देवसमृद्धिरस्तु |ईष्टसमपद्स्तु |अरिष्टनिरसनमस्तु |प्च्छेमस्तदस्तु |
यत्पापमशुभमकल्याणम् तददुरे प्रतिहतमस्तु | ॐ अस्तु श्री: श्री:श्री: ||
त्रैलोक्य नाथो भव | त्रिकालज्ञानी भव | त्रिरत्न्स्वामी भव | -3
ॐ कं ठ: व्ह: प: असिआउसा, गर्भार्भंक प्रमोदेंन परिरक्षित स्वाहा | -3
श्री माधवी काननस्ये गर्भ रक्षांबिके पाही भक्ताम् स्थुवन्तम्। (हर श्लोक के बाद)
वापी तटे वाम भागे, वाम देवस्य देवी स्थिता त्वां,
मानया वारेन्या वादानया, पाही, गर्भस्या जन्थुन तथा भक्ता लोकान ॥ १ ॥
श्री गर्भ रक्षा पुरे या दिव्या, सौंन्दर्या युक्ता ,सुमंगलया गात्री,
धात्री, जनीत्री जनानाम, दिव्या, रुपाम ध्यारर्दाम मनोगनाम भजे तं ॥ २ ॥
आषाढ मासे सुपुन्ये, शुक्र, वारे सुगंन्धेना गंन्धेना लिप्ता,
दिव्याम्बरा कल्प वेशा वाजा, पेयाधी याग्यस्या भक्तस्या सुद्रष्टा
॥ ३ ॥
कल्याण धात्रीं नमस्ये, वेदी, कंगन च स्त्रीया गर्भ रक्षा करीं त्वां,
बालै सदा सेवीथाअन्ग्रि, गर्भ रक्षार्थ, माराधुपे थैयुपेथाम ॥४ ॥
ब्रम्होत्सव विप्र विद्ययाम वाद्य घोषेण तुष्टाम रथेना सन्निविष्टाम्
सर्व अर्थ धात्रीं भजेअहम, देव व्रुन्दैरा पीडायाम जगन मातरम त्वां
॥ ५ ॥
येतथ कृतम स्तोत्र रत्नम, दीक्षीथ अनन्त रामेन देव्या तुष्टाच्यै
नित्यम् पाठयस्तु भक्तया,पुत्र-पौत्रादि भाग्यं भवे तस्या नित्यं ॥ ६ ॥
इति श्री गर्भ रक्षाअम्बिका स्तोत्रं संपूर्णम्॥
विधि सामग्री
पीले चावल या सरसों
केसर
जल
रक्षा सूत्र या लच्छा
हवन पात्र या हवन के लिए दूसरा बर्तन
धुप या 7 लवंग या 7 कपूर
घी
दीपक और अगरबत्ती
प्रतिक्रमण या सामायिक – प्रतिक्रमण या सामायिक का जैन धर्म में विशेष महत्व हैं हमारे साधू भी प्रतिक्रमण या सामायिक करते हैं जबकि भगवान का अभिषेक नही करते | क्यों इसे इतना महत्व दिया गया हैं | प्रतिक्रमण या सामायिककरने से पहले इसे समझे
अभी तक हमने ये जरुर सुना है की प्रतिक्रमण या सामायिक से हमारे कर्मो की निर्जरा होती हैं जो भी हमने किया उससे कर्म निर्मित हुए और इन निर्मित कर्मो को हमे भोगना पड़ेगा चाहे वो अच्छे हो या बुरे जिसे हम पाप और पुण्य कहते हैं | हमने अक्सर सुना हैं की पाप किये तो नर्क में यातनाए भोगनी होगी लेकिन अगर बहुत पुण्य किये तो उन्हें भी भोगना होगा जिसे हम देव योनी कहते हैं | इन दोनों की ही भोगना होता हैं दोनों योनी से मुक्ति नही हैं मुक्ति केवल मनुष्य योनी से ही हो सकती हैं | तो
प्रतिक्रमण या सामायिक का मतलब होता हैं समय के आयाम से बाहर होना जब भी हम समय के भीतर हैं या समझने के तोर पर कहे जब भी समय का आभास है तब तक कर्म निर्मित होते ही रहेंगे | चाहे कुछ न भी करे ये कर्म बन जाएगा | लेकिन कुछ अवस्था ऐसी होती हैं जब हम समय के पार होते जब मन के पार होते हैं तब हमारा शुध्तम चेतन्य स्वरुप रह जाता है जो समय के पार हैं इसलिए हम तीर्थंकर की तीनो काल के नाथ कहते हैं जो समय के तीनो कालो से छुट गये और समय के बाहर हो गये |
तो प्रतिक्रमण या सामायिक के नित्य साधना से ऐसी अवस्था आती हैं जब मन कही नही डोलता स्थिर साक्षी भाव में आ जाता है तो ये जो प्रतिक्रमण या सामायिक हैं इसे रोज रोज करने का यही कारण हैं यह विधि है कर्मो से छुटकारा पाने की तो इसे आप जरुर सुने या करे |
Samayik Path ||सामायिक पाठ
लघु प्रतिक्रमण – हिन्दी : भावपूर्ण
भाव प्रतिक्रमण ( bhav pratikraman in only 10 minutes)
भाव प्रतिक्रमण
Garbh Samwad Technique Audio .
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Part -01
Part -02
Part -03
गर्भावस्था में कामवासना पकड़े तब क्या करें ?
अस्तित्व के कुछ नियम हैं हर चीज नियम से चलती हैं जिसमे एक हैं जीवन पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं यहाँ सब कुछ करने की स्वतंत्रता हैं सही करने की, साथ ही गलत करने की भी | क्योकि अगर गलत करने की स्वतंत्रता ना हो तो उसे स्वतंत्रता नही कहा जा सकता वह बंधन हैं | और एक नियम हैं कि अस्तित्व में कुछ भी सही नही हैं न ही गलत हैं | सही और गलत मनुष्य की अपनी अवधारणा हैं |ये अवधारणा मनुष्य ने अपने लिए बनाई है क्योकि मनुष्य सामूहिक जीवन जीता हैं इस कारण से समाज में जीने के लिए कुछ नियम जरुरी हैं | अब आप सोच रहे होंगे की गर्भावस्था में कामवासना के सम्बन्ध में बात हो रही थी और कहा हम जीवन के नियमो की बात करने लगे | लेकिन यहाँ कोई नियम काम नही नही आयेंगे यहाँ तो केवल आपकी समझ ही, आपका विवेक ही आपको काम आएगा क्यूंकि कामवासना हमारी प्रक्रति हैं इसे लड़ कर नही जीता जा सकता इसे तो समझ कर ही, मित्रता करके ही इसके पार जाया जा सकता हैं | और इसके पार जाने में इससे सुन्दर सहज समय कोई और नही हो सकता हैं | ये समय स्त्री के साथ साथ पुरुष के लिए भी अमूल्य हैं | हमने अस्तित्व के नियम की बात की – यहाँ सब कुछ करने की स्वतंत्रता हैं सही करने की, साथ ही गलत करने की भी |इसे ऐसे समझे हमारे पास दो पाँव है और दोनों में से किसी को भी उपर उठा सकते हैं चाहे हो दाहिना उठा ले या बाया पाँव उठा ले, चुनाव हमारा हम स्वतन्त्र हैं किसी एक को चुनने के लिए | लेकिन चुनाव के बाद हम स्वतंत्र नही हैं क्यूंकि हर क्रिया का अपना परिणाम हैं और भोगने के लिए हम बाध्य हैं | इस समय भी हमारे हाथ में चुनाव का अवसर हैं क्यूंकि गर्भावस्था में भी कामवासना तो उठेगी ही, मन की पकड़ेगी ही | अब चुनाव हमारा हैं की हम काम में उतरते हैं या इस कामवासना शक्ति से हम राम को जन्म देते हैं | इसके लिए नीचे विधि दी जा रही हैं इसका उपयोग करे
“एक छोटी ध्यान विधि” जब कामवासना पकड़े तब क्या करें ? जब कामवासना पकड़े , तब डरो मत। शांत होकर बैठ जाओ। और बस ध्यान दो अपनी श्वांसो पर लम्बी गहरी श्वास बस पूरा ध्यान अपनी श्वास पर हो | और ये श्वास आपके आज्ञा चक्र से होती हुई चले मतलब आज्ञा चक्र गेट की तरह हो जाए भीतर लो तो आज्ञा चक्र से महसूस करो और जब छोड़ो तो आज्ञा चक्र को महसूस करे | शुरुआत में कुछ समय लगेगा लेकिन आप तुरंत पाएंगे की आज्ञा चक्र आपको महसूस होने लगा कामवासना कम होने लगी | क्योकि शक्ति को मार्ग की आवश्यकता हैं मार्ग नही मिला तो नीचे से कामवासना बनकर सेक्स के माध्यम से निकलेगी और मार्ग मिला तो आपके विकास और बच्चे के विकास में लगेगी | इसी सम्बन्ध में अगर पुरुष को कामवासना जगे तो क्या करे | क्योकि स्त्री कामवासना से नही भरे पर पुरुष कामवासना से भरते हैं वो स्त्री को मजबूर भी कर सकते हैं | तो केवल पुरुष के लिए विधि दी जा रही हैं केवल वे ही करे माता ना करे “एक छोटी ध्यान विधि” जब कामवासना पकड़े तब क्या करें ? जब कामवासना पकड़े , तब डरो मत। शांत होकर बैठ जाओ। जोर से श्वास को बाहर फेंको –उच्छवास। भीतर मत लो श्वास को। क्योंकि जैसे भी तुम भीतर गहरी श्वास को लोगे, भीतर जाती श्वास काम-ऊर्जा को नीचे की तरफ धकाती है। जब तुम्हें काम-वासना पकड़े, तब एक्सहेल करो। बाहर फेंको श्वास को। नाभि को भीतर खींचो, पेट को भीतर लो और श्वास को बाहर फेंको जितनी फेंक सको। धीरे-धीरे अभ्यास होने पर तुम संपूर्ण रूप से श्वास को बाहर फेंकने में सफल हो जाओगे। जब सारी श्वास बाहर फिंक जाती है, तो तुम्हारा पेट और नाभि वैक्यूम हो जाते हैं। शून्य हो जाते हैं। और जहां कहीं शून्य हो जाता है, वहां आसपास की ऊर्जा शून्य की तरफ प्रवाहित होने लगती है। शून्य खींचता है। क्योंकि प्रकृति शून्य को बर्दाश्त नहीं करती। शून्य को भारती हैं। तुम नदी से पानी भर लेते हो घड़े में। तुमने घड़ा भर कर उठाया नहीं कि गङ्ढा हो जाता है यानी में घड़े से। तुमने पानी भर लिया, उतना गङ्ढा हो गया। चारों तरफ से पानी दौड़ कर उस गङ्ढे को भर देता है। तुम्हारी नाभि के पास शून्य हो जाए, तो मूलाधार से ऊर्जा तत्क्षण नाभि की तरफ उठ जाती है। और तुम्हें बड़ा रस मिलेगा। जब तुम पहली दफा अनुभव करोगे, कि एक गहन ऊर्जा बाण की तरह आकर नाभि में उठ गई। तुम पाओगे, सारा तन एक गहन स्वास्थ्य से भर गया। एक ताजगी! यह ताजगी वैसी ही होगी, ठीक वैसा ही अनुभव तुम्हें होगा ताजगी का, जैसा संभोग के बाद उदासी का होता है। इसलिए जो लोग भी मूलाधार से शक्ति को सक्रिय कर लेते हैं, उनकी नींद कम हो जाती है। जरूरत नहीं रह जाती है। वे थोड़े घंटे सो कर भी ही ताजे हो जाते हैं, फिर तो दो घंटे तो कर उतने ही ताजे हो जाते हो जितने तुम आठ घंटे सो कर नहीं हो पाते, क्योंकि तुम्हारे शरीर को तो ऊर्जा को पैदा करना पड़ता, निर्मित करना पड़ता है, भरना पड़ता है। और बड़ा पागलपन है। रोज शरीर भरता है, रोज तुम उसे उलीचते हो। यूं ही उम्र तमाम होती है। रोज भोजन लो, शरीर को ऊर्जा से भरो, फिर उसे उलीचो और फेंक दो। ऊर्जा का ऊर्ध्वगमन बड़ा अनूठा अनुभव है। और पहला अनुभव होता है, मूलाधार से नाभि की तरफ जब संक्रमण होता है। यह मूलबंध ही सहजतम प्रक्रिया है। कि तुम श्वास को बाहर फेंक दो, नाभि शून्य हो जाएगी, ऊर्जा उठेगी नाभि की तरफ, मूलबंध का द्वार अपने आप बंद हो जाएगा। वह द्वार खुलता है ऊर्जा के धक्के से। जब ऊर्जा मूलाधार में नहीं रह जाती, धक्का नहीं पड़ता, द्वार बंद हो जाता है। मूल बांधि सर गगन समाना… बस, तुमने अगर एक बात सीख ली कि ऊर्जा कैसे नाभि तक आ जाए, शेष तुम्हें चिंता नहीं करनी है। तुम ऊर्जा को, जब भी कामवासना उठे, नाभि में इकट्ठा करते जाओ। जैसे-जैसे ऊर्जा बढ़ेगी नाभि में, अपने आप ऊपर की तरफ उठने लगेगी। जैसे बर्तन में पानी बढ़ता जाए, तो पानी की तरह ऊपर उठती जाए। असली बात मूलाधार का बंद हो जाना है। घड़े के नीचे का छेद बंद हो गया, अब ऊर्जा इकट्ठा होती जाएगी। घड़ा अपने आप भरता जाएगा। – ओशो
2nd Trimester working
चतुर्थ मास औषधि : इस माह मे शिशु के bones और optic (eye) nurve system का development होता हैं | इस माह मे first diet के रूप मे नट्स मे almond का प्रयोग करे, फिर उसके कुछ देर बाद देशी गाय के दूध के साथ २०-20 ग्राम ताज़ा मक्खन सुबह शाम सेवन करें इसके आधा घण्टे पश्चात सोम घृत का उपयोग करें | सुबह के भोजन मे दही का उपयोग करे |
शारीरिक बदलाव (द्वितीय 3 माह तक): जी मचलाना,उल्टी कम होजाती है,पर भूख बढ़ जाती है, ; शारीरिक थकावट और चक्कर आना ; कब्ज,गैस, व् पेट का फूलना White discharge, पेरो में ऐठन, मसुडो से रक्त आना, पेट व् कमर में तकलीफ गर्भ में बच्चे का मोवमेंट शुरू
मेडिकल टेस्ट : ब्लडप्रेशर, वेट, Weight मैनेजमेंट : प्रतिमाह 4 से 7 वे माह तक 1.5-1.5 किलो वजन बढ़ना चाहिए
विहार चर्या = सीढिया चढ़ने उतरने में सावधानी बरतनी चाहिए। प्रतिदिन मोर्निंग या evening walk पर जाना चाहिए, तजि हवा और प्राकृतिक सोंदर्य हमारे विकास में सदा सहयोगी है
Part -01
Part -02
Part 03
Guided Meditation Technique No. 1
step 1 इस विधि के अनुसार सुखासन में बैठ कर , नीचे दिए म्यूजिक में चक्रो के नाम लिए जायेगे जैसे जैसे चक्रो का नाम आये आप अपनी हथेलियों को उस चक्र पर रखते जाये और उस म्यूजिक के vibration को फील करते जाए थोड़ी ही देर में आप अनुभव करेंगे की आपकी उर्जा उसी क्रम में ऊपर की और बढ़ने लगी |
step 2 इसमें आपको बस अपनी उर्जा को महसूस करना है अब उर्जा स्वयं अपना काम करेगी | इस चरण में अगर आप बैठने की जगह लेटना चाहे तो लेट जाए ध्यान रखे आखे आपकी बंद ही रहे |
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Guided Meditation Technique No. 2
step 1 इस विधि के अनुसार सुखासन में बैठ कर , नीचे दिए म्यूजिक में चक्रो के बीज या मूल मंत्र का उच्चारण किया जायेगा आप भी उसी क्रम में इस मंत्र का उच्चारण बोल के कर सकते है, ध्यान रहे उच्चारण करते समय मंत्र के कंपन को आप उसी चक्र पर महसूस करे |
step 2 म्यूजिक बंद होने के बाद एकदम से उठ न जाए कुछ देर इसी अवस्था में रहे | अगर आप बैठने की जगह लेटना चाहे तो लेट जाए ध्यान रखे आखे आपकी बंद ही रहे | बीज मन्त्र ऊपर फोटो में दिए गए हैं
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