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लोरी सुनाऊ
मैं ज्ञानानंद स्वभावी हूँ
माता के स्वप्न लोरी
चार गति के पार से सिद्धो का संदेश
तू ही शुद्ध है तू ही बुद्ध है
वीर की बलैयां लेती मोक्ष की प्राचीर
Maa sunao mujhe wo kahani
सदा नेक कामो में मन को लगाना
सुख आते है दुःख आते है
जाग रे चेतन
जिनवाणी माँ के प्यारे चेतन हो न्यारे
Jain Lori